अयोध्या केस / हिंदू पक्ष के नक्शा पेश करने पर मुस्लिम पक्ष के वकील ने पूछा- इसका क्या करें? बेंच बोली- टुकड़े-टुकड़े कर सकते हैं

हिंदू पक्ष के वकील ने 'अयोध्या रीविजिटेड' नाम की किताब से राम जन्मस्थान दिखाने की कोशिश की


मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन के नक्शा फाड़ने पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई



नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पर आखिरी दिन की सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में उस वक्त हंगामे के आसार बन गए, जब हिंदू पक्ष के वकील की तरफ से दिए गए नक्शे को मुस्लिम पक्ष के वकील ने फाड़ दिया। इस पर चीफ जस्टिलस रंजन गोगोई ने नाराजगी जताते हुए सुनवाई खत्म करने की चेतावनी दी।


आखिरी दिन अदालत ने सभी पक्षों के वकीलों को दलीलें पेश करने के लिए 45 का समय निर्धारित किया था। इस अवधि में ही हर वकील को तमाम दावे और सबूत अदालत के सामने रखने थे। सबसे पहले रामलला विराजमान के वकील एस वैद्यनाथन ने दलीलें पेश कीं। इसके बाद रंजीत कुमार, विकास सिंह और राजीव धवन का नंबर आया।


धवन ने अदालत में ही नक्शा फाड़ना शुरु किया
सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने अपनी दलीलों के साथ एक नक्शा पेश किया। ये नक्शा पूर्व आईपीएस अफसर किशोर कुणाल की किताब 'अयोध्या रीविजिटेड' में बना हुआ था। सिंह इस नक्शे के मुताबिक राम जन्मस्थान को दिखाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने नक्शे की कॉपी मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को भी दी। धवन ने इसे सबूत के बतौर सौंपे जाने विरोध करते हुए कोर्ट में कहा, इसका क्या किया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप चाहें, तो इसके टुकड़े कर सकते हैं। राजीव धवन ने कोर्ट रूम में ही नक्शे की कॉपी फाड़ना शुरु कर दी। 


धवन से नाराज चीफ जस्टिस ने सुनवाई खत्म करने को कहा
धवन के तरीके पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा- आप चाहें, तो पूरे पेज फाड़ सकते हैं। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा- अगर इसी तरह चलता रहा, तो सुनवाई अभी पूरी कर दी जाएगी। फिर जिस भी पक्ष को दलील देनी होगी, वह लिखित में ले ली जाएगी। 


पहली बार 1885 में कोर्ट पहुंचा था अयोध्या विवाद
अयोध्या विवाद पहली बार 1885 में कोर्ट में पहुंचा था। निर्मोही अखाड़ा 134 साल से जमीन पर मालिकाना हक मांग रहा है। सुन्नी वक्फ बोर्ड भी 58 साल से यही मांग कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई थी। अब 8 साल बाद अयोध्या विवाद मामले में बुधवार को सुनवाई पूरी हुई। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट अब 4 या 5 नवंबर को फैसला सुना सकता है।


40 दिन तक लगातार चली सुनवाई में विवादित भूमि के मालिकाना हक से लेकर रामलला विराजमान को न्यायिक व्यक्ति मानने के मुद्दे तक 6 प्रमुख बिंदुओं पर दोनों पक्षों ने दलीलें रखीं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए बनी 5 जजों की बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर हैं।